स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के 5 जीवन सूत्र
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि जीवन सूत्र 1
शिक्षा हमें सुसंस्कृत, प्रकाशित, शिष्ट और सफल बनाती है। अज्ञान व्यक्ति की सभी समस्याओं का मूल कारण है। हमारे जीवन में जो भी कमियां हैं, जो भी समस्याएं हैं, वह सभी शिक्षा से दूर हो सकती हैं। ग्रंथ पढ़ेंगे और विद्वानों की संगत में रहेंगे तो अपनी दिव्याएं जागृत हो जाएंगी।
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि जीवन सूत्र 2
भगवान का विधान निर्दोष और सभी के लिए मंगलकारी है। परमात्मा ने प्रकृति को हमारे रक्षण और पोषण के लिए बनाया है। ये सभी की मददगार है और हर पल मदद करती है। प्रकृति हमें सबकुछ देना चाहती है। सभी प्राकृतिक नियमों का पालन करेंगे तो बीमारियों से बचे रहेंगे और प्रकृति से सारे लाभ ले पाएंगे।
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि जीवन सूत्र 3
प्रकृति परिवर्तनशील है। यहां दिन-रात, ऋतुएं निरंतर बदल रहे हैं। प्रकृति में ऐसा कुछ नहीं है जो हमेशा स्थिर रहेगा। हमारे आसपास के सभी दृश्य, घटनाएं लगातार बदल रहे हैं। लोगों के स्वभाव बदल जाते हैं, लेकिन हमारे जो जीवन मूल्य, सिद्धांत और नियम हैं, उनमें बदलाव नहीं करना चाहिए। अपने पर्व, परंपराओं, सिद्धांतों के लिए अडिग रहें।
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि जीवन सूत्र 4
परिवार में जब हम अपना सर्वस्व सौंप देते हैं, तब ही हमें मान-सम्मान, सुख, प्रेम, अपनापन मिलता है। परिवार में जब स्वार्थ आ जाता है, तब आपसी प्रेम खत्म हो जाता है। जो लोग परिवार से अलग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं, उन्हें घर के लोगों का स्नेह नहीं मिलता है। परिवार समर्पण चाहता है। जो लोग परिवार के लिए समर्पित रहते हैं, उन्हें बदले में सुख-शांति और प्रेम मिलता है।
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि जीवन सूत्र 5
किसी से कुछ बोलने से पहले सोच-विचार जरूर करें। हमें बात करते समय विनम्र रहना चाहिए। हमारी बातों में सत्यता, मधुरता और प्रियता होनी चाहिए। वाणी से हमारे संस्कार, विचार, पूर्वज, वंश, परंपरा, चरित्र की जानकारी मिलती है। इसलिए हमारे विचार और बात करने का तरीका सुंदर होना चाहिए।